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जाति भेदभाव अध्यादेश

जातीय भेदभाव क्या हैं?

जातीय भेदभाव के बारे में यह है कि लोगो को उनकी जाति के आधार पर कम आंकना । भेदभाव किसी भी दृष्टिकोण मे हो सकता है, होश में या बेहोशी मे हो, एक जाति के आधार पर किसी व्यक्ति को नीचा दिखाया जाता हो । यहाँ पर दो प्रकार के जातीय भेदभाव है : प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष जातीय भेदभाव।

 

जाति भेदभाव अध्यादेश:

जातीय भेदभाव के विरूद्ध अध्यादेश, जाति भेदभाव अध्यादेश (RDO) हांगकांग मे 10 जुलाई 2009 मे पूर्ण रूप से प्रभावित हो गया था । यह हांगकांग में भेदभाव के खिलाफ एक बड़ा प्रयास था ।

 

रोजगार अभ्यास का कोड

समान अवसर आयोग (EOC) द्वारा प्रकाशित, जाति भेदभाव अध्यादेश के अधीन रोजगार अभ्यास का कोड मे नियोक्ता और कर्मचारी के लिए कुछ सिफारिशें और रेखांकन भी किया गया है कि किस तरह से रोजगार के क्षेत्र में जाति भेदभाव के सिद्धांत और अवधारणाओं को लागू करे। 

एक कर्मचारी या मजदूर जो जातीय भेदभाव, उत्पीड़न और ज़ुल्म का दावा करता है, समान अवसर आयोग के पास शिकायत दर्ज करा सकता है जो जांच करने का अधिकार रखता है इस नजर से कि वह किसी भी विवाद का सुविधाजनक रुप से समाधान कर सके । वैकल्पिक रूप से, वो जिला न्यायालय में कार्रवाई शुरू करा सकते हैं । कोर्ट के पास यह अधिकार होता है कि वो यह घोषणा करे कि कोइ भी करार RDO का उल्लंघन कर रहा है या नही , वह आदेश दे सकता है कि किसी व्यक्ति को काम पर नियुक्त, उसे फिर से काम पर रखे या फिर उन्हे तरक्की दे, और किसी नुक्सान का हर्जाना भरे, इसमे दडांत्मक और अनुकरणीय मुआवजा भी शामिल है । यदि आप जातीय भेदभाव के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने की रुचि रखते हैं तो, कृपया इन्टरनेट मे दिए गए समान अवसर आयोग (EOC)वेबसाइट http://www.eoc.org.hk मे जाइए